Thursday, December 9, 2021

चॉपर और प्लेन के ब्लैक बॉक्स में क्या फर्क होता है? इससे पता चलती है 'अंदर की बात'

नई दिल्‍ली तमिलनाडु के कुन्‍नूर में सीडीएस बिपिन रावत को ले जा रहे विमान के क्रैश होने के बाद की काफी चर्चा है। बुधवार को जो एमआई-17 हेलीकॉप्‍टर दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ, बताया जाता है कि उसका ब्‍लैक बॉक्‍स मिल गया है। इसके मिलने के बाद हेलीकॉप्‍टर क्रैश से जुड़े कई राजफाश होंगे। आखिर ये ? एक चॉपर और प्‍लेन के ब्‍लैक बॉक्‍स में क्‍या फर्क होता है? आइए, यहां इन सवालों के जवाब जानते हैं। क्‍या होता है 'ब्‍लैक बॉक्‍स' अपने नाम के उलट ब्‍लैक बॉक्‍स न तो ब्‍लैक होता है न ही यह किसी तरह का बक्‍सा यानी बॉक्‍स होता है। असलियत में यह एक कंप्रेसर के आकार का डिवाइस होता है। यह अच्‍छी तरह से दिखे, इसलिए इसे ऑरेंज कलर में पेंट किया जाता है। यह अब तक एक गुत्‍थी है कि इसके अनौपचारिक उपनाम की उत्पत्ति कैसे हुई। वैसे कई इतिहासकार इसके निर्माण का श्रेय 1950 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन को देते हैं। क्‍या होता है प्‍लेन और हेलीकॉप्‍टर के ब्‍लैक बॉक्‍स में फर्क? तकरीबन हर एक प्‍लेन में ब्‍लैक बॉक्‍स होता है। इसे अक्‍सर फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर या ब्लैक बॉक्स कहा जाता है। ये विमानों के बारे में डेटा स्टोर करते हैं। इनके जरिये हवाई दुर्घटना की जांच में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने के आसार रहते हैं। जहां तक हेलीकॉप्‍टर का सवाल है तो यहां एक बात को समझना होगा। सभी हेलीकॉप्‍टरों में ब्‍लैक बॉक्‍स नहीं होता है। इसकी वजह यह है कि ब्‍लैक बॉक्‍स को इंस्‍टॉल करना खर्चीला होता है। इस डिवाइस के मेनटिनेंस की भी जरूरत होती है। इसके अलावा फेडरल एव‍िएशन एडम‍िन‍िस्‍ट्रेशन (FAA) भी ज्‍यादातर हेलीकॉप्टर में ब्‍लैक बॉक्‍स इंस्‍टॉल करने की अन‍िवार्यता पर जोर नहीं देता है। इन बातों के चलते ज्‍यादातर हेलीकॉप्‍टर निर्माता इसे इंस्‍टॉल करने से कन्‍नी काट जाते हैं।

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