Saturday, February 6, 2021

रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग... पैसे देकर किसान आंदोलन पर कराए गए ट्वीट्स? जानें क्‍या बोला मो धालीवाल

नई दिल्‍ली कनाडा बेस्‍ट पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) का दावा है कि उन्‍होंने किसान आंदोलन को लेकर भारत में किसी तरह के विरोध-प्रदर्शन को कोऑर्डिनेट नहीं किया। एक बयान में PJF ने कहा क‍ि उन्‍होंने न तो रिहाना, न ही ग्रेटा थनबर्ग और किसी और सेलिब्रिटी को भी इसपर ट्वीट करने के लिए कहा था। दिल्‍ली पुलिस वैमनस्‍य फैलाने की कथित साजिश और ग्रेटा थनबर्ग की ओर से शेयर की गई टूलकिट बनाने के लिए PJF की जांच कर रही है। PJF का यह बयान उसके फाउंडर्स- मो धालीवाल और अनिता लाल की तरफ से जारी किया गया है। उन्‍होंने कहा कि उनकी संस्‍था के बारे में फैलाई गई काफी सारी जानकारी 'कई मामलों में गलत है, और अक्‍सर पूरी तरह से मनगढ़ंत हैं।' बयान के मुताबिक, यह किसान आंदोलन में गई लगभग 200 जिंदगियों से 'ध्‍यान हटाने की सोची-समझी कोशिश' है। बयान में कहा गया, "पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन को दुनियाभर के ऐक्‍टर्स के साथ जोड़ने के लिए की जा रहीं जटिल और बेहूदा साजिशें पूरी तरह से काल्‍पनिक हैं। पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन ने भारत के भीतर किसी तरह के प्रदर्शन में दखल नहीं दिया।" इसमें कहा गया, "पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन ने रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग या किसी और सेलिब्रिटी से #FarmersProtest के बारे में ट्वीट करने के लिए कोऑर्डिनेट नहीं किया। हमने किसी को ट्वीट करने के लिए पेमेंट नहीं किया और निश्चित ही, किसी को ऐसा करने के लिए 2.5 मिलियन डॉलर भी नहीं दिए।" हमने रिसर्च के बाद तैयार किए सवालPJF के स्‍टेटमेंट के मुताबिक, "हालांकि हम पूरी दुनिया को इस मुद्दे पर बात करने के लिए प्रेरित करते हैं। ऑर्गनाइजर्स के इंटरनैशनल समूह के जरिए हमने दुनिया को इस बारे में ध्‍यान देने और संदेश को दूर-दूर तक पहुंचाने को बढ़ावा दिया। हमारा ध्‍यान किसान आंदोलन पर इसलिए गया क्‍योंकि हम लोगों से जुड़े हैं और उनसे प्‍यार करते हैं।" बयान में कहा गया, "हमने भारत के लोकतंत्र से सवाल पूछना तय किया। हम भारत से पूछेंगे 'क्‍यों?' हमने प्रमुख मेसेज डिवेलप किए जो पूरी रिसर्च और फैक्‍ट आधारित थे। हमने यह सारी सोच इकट्ठा की और AskIndiaWhy.com नाम की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध कराई।" मो धालीवाल कौन है?मो धालीवाल का नाम PJF फाउंडर के रूप में सामने आया। वह Skyrocket नाम की एक डिजिटल ब्रैंडिंग क्रिएटिव एजेंसी का को-फाउंडर और चीफ स्‍ट्रैटीजिस्‍ट भी है जिसकी नींव उसने वैंकूवर में साल 2011 में डाली थी। 17 सितंबर 2020 को अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्‍ट में धालीवाल लिखता है, "मैं एक खालिस्‍तानी हूं। आप शायद मेरे बारे में यह नहीं जानते होंगे। क्‍यों? क्‍योंकि खालिस्‍ताान एक विचार है। खालिस्‍तान एक जीता-जागता, सांस लेता आंदोलन है।" पोस्‍ट में उसने यह भी लिखा कि वह 1984 में छह साल का था। 3 जून, 2020 को उसने जरनैल सिंह भिंडरावाले की एक फोटो पोस्‍ट की और साथ में लिखा, "गुलामी से आजादी तभी मिलती है जब कोई यह समझना और महसूस करना शुरू करता है कि वह एक गुलाम की जिंदगी के बजाय मौत पसंद करेगा।"

No comments:

Post a Comment