Thursday, March 28, 2019

वोटर की कसौटी पर खरे क्यों नहीं निर्दलीय उम्मीदवार?


2014 में आईएएस बादल चटर्जी इलाहाबाद में कमिश्नर थे। एसपी सरकार ने उनका तबादला किया तो जनता सड़क पर उतर आई।बादल चटर्जी जब 2017 के चुनाव में इलाहाबाद नॉर्थ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े तो उनके हिस्से मात्र 980 वोट आए।चुनावी सियासत में निर्दलीयों के पराभव का यह किस्सा आम है। पहले संसदीय चुनाव से लेकर 2014 तक कुल निर्दलीय प्रत्याशियों मे आधा फीसद से कम के ही हिस्से जीत आई है।कमजोर संसाधनों के चलते निर्दलीय प्रत्याशी अक्सर वोटर में यह विश्वास नहीं पैदा कर पाते कि वह जीत रहे हैं। अब तक कुल 45000 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन जीते महज 222।


via WORLD NEWS

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