
Thursday, November 17, 2022
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बुरहानपुर के जामा मस्जिद में संस्कृत में लिखे हैं शिलालेख, जानिए इसकी अन्य खासियतें...
बुरहानपुरः मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के ऐतिहासिक मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। बुरहानपुर की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद का इतिहास देश की गंगा जमुनी तहजीब को बयां करता है। पूरे प्रदेश में केवल बुरहानपुर के शाही जामा मस्जिद में संस्कृत में शिलालेख लिखा हुआ है। इस शिलालेख को देखने देशभर से इतिहास प्रेमी विदेशी पर्यटक बुरहानपुर पहुंचते हैं।इस मस्जिद का निर्माण गुजरात के कारीगरों ने किया था। उन्होंने ही मस्जिद में बेहतरीन नक्काशी की थी जो आज ऐतिहासिक दस्तावेज बन चुका है। मस्जिद की नक्काशी देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मस्जिद की नक्काशी में आज भी कोई टूट-फूट नहीं दिखाई देती। ये नक्काशियां देसी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
फारुकी राजाओं ने जब 1400 ईस्वी में बुरहानपुर बसाया था, तब पहली मस्जिद इतवारा वार्ड में बनाई गई थी। जब फारुकी राजाओं को लगा कि यह मस्जिद छोटी है तो उन्होंने गांधी चौक में शाही जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद को बनाने के लिए मांडवा से काले पत्थर लाए गए थे जिन्हें संगे खारा कहा जाता है। उस पत्थर से इस मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस मस्जिद के निर्माण में खास बात यह है कि इसकी नक्काशी पत्थर की लकड़ी की तरह दिखाई देती है। यह देश के सभी मस्जिदों में सुंदर और मजबूत मानी जाती है।
इस मस्जिद के निर्माण को 600 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी यह पुरानी नहीं लगती। है।मस्जिद के निर्माण में देश की गंगा-जमुनी तहजीब का भी पूरा ध्यान रखा गया है। पूरे प्रदेश में केवल बुरहानपुर की शाही जामा मस्जिद में संस्कृत का शिलालेख लिखा गया है। इसे देखने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, मुंबई और दिल्ली के साथ-साथ विदेशों से भी पर्यटक यहां आते हैं।
via WORLD NEWS