Tuesday, January 4, 2022

पहले थप्पड़ मारो और फिर कहो कि माफ कर दीजिए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बेबुनियाद आरोप लगाया, अब 25 लाख भरिए

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी दायर करने वाले एक व्यक्ति पर मंगलवार को 25 लाख रुपये का अदालत खर्च लगाते हुए कहा कि उसकी अर्जी में दी गई दलील अस्वीकार्य हैं और उसने उत्तराखंड उच्च न्यायालय तथा राज्य सरकार के कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए थे। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अर्जी देने वाला व्यक्ति, जो न्यायालय के समक्ष खुद को पक्षकार बनाना चाहता है, उसे कुछ संयम दिखाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में दायर की गई अर्जी में लगाये गए आरोपों जैसे बेबुनियाद आरोप लगाने से दूर रहना होगा। जस्टिस ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘‘इस प्रकार, हम अर्जी दायर करने वाले पर 25 लाख रुपये का अनुकरणीय अदालत खर्च लगाते हुए अर्जी को सिरे से खारिज करते हैं। ’’ शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अदालत खर्च को यदि चार हफ्तों के अंदर शीर्ष न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा नहीं किया जाता है तो यह रकम अर्जी देने वाले से हरिद्वार जिलाधिकारी द्वारा वसूली जाएगी। अर्जी दायर करने वाले व्यक्ति ने इसके जरिए खुद को खासगी (देवी अहिल्याबाई होल्कर चैरिटिज) ट्रस्ट, इंदौर से जुड़े एक विषय में पक्षकार बनाने का अनुरोध किया था। न्यायालय में बहस के दौरान अर्जी दायर करने वाले की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उन्हें अर्जी वापस लेने की अनुमति दी जाए। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘वापस लेने की अनुमति क्यों दी जाए? आप यहां आए और हर तरह के आरोप लगाए। पहले थप्पड़ मारो और फिर कहो कि माफ कर दीजिए। ’’

विजयवर्गीय की फिसली जुबान, सिंधिया को मुख्यमंत्री बताकर यूं सुधारी गलती, देखिए Video


मध्य प्रदेश के इंदौर में मंगलवार शाम एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने मंत्री यशोधराराजे सिंधिया (Yashodhara Raje Scindia) को मुख्यमंत्री संबोधित कर दिया। इस पर ठहाकों के बीच उन्होंने सफाई में यशोधराराजे के मुख्यमंत्री बनने की कामना भी कर दी। हंसी-मजाक के इन पलों को कांग्रेस ने शिव'राज' के खिलाफ बीजेपी नेताओं का असंतोष बताया है। उनके बयान की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि सिंधिया परिवार से विजयवर्गीय (Scindia Vs Vijayvargiya ) का छत्तीस का आंकड़ा रहा है।

विजयवर्गीय मंगलवार शाम इंदौर में 71वीं जूनियर राष्ट्रीय बास्केटबॉल प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘मंच पर उपस्थित मध्य प्रदेश की बहुत ही यशस्वी युवा खेल मंत्री, आज की मुख्यमंत्री…।’’ उनके इतना कहते ही बास्केटबॉल स्टेडियम ठहाकों से गूंज उठा। विजयवर्गीय को भी अपनी गलती का तुरंत अहसास हो गया और वे रुक गए। उन्होंने भूल सुधारते हुए यशोधराराजे को ‘‘आज की मुख्य अतिथि’’ के रूप में संबोधित किया।

स्टेडियम में मौजूद लोगों के ठहाकों के बीच विजयवर्गीय ने हंसी-मजाक के जरिए ही गलती (Kailash Vijayvargiya Slip of Tongue) सुधारने की कोशिश की। इस प्रयास में वे यशोधराराजे के मुख्यमंत्री बनने की कामना कर गए। उन्होंने कहा,‘‘ऐसा कहा जाता है कि कभी-कभी ऊपर (आकाश) से सप्तर्षि निकलते हैं और वे कहते हैं-ऐसा ही हो, ऐसा ही हो, ऐसा ही हो। अब मेरे मुंह से यशोधराराजे सिंधिया के लिए मुख्यमंत्री निकल गया, तो ऊपर से वे कह रहे होंगे कि ऐसा ही हो, ऐसा ही हो, ऐसा ही हो।’’ #jyotiradityascindia, #Kailashvijayvargiya, #ViralVideo


via WORLD NEWS

'जजों के लिए रिटायरमेंट स्वतंत्रता वापस पाने जैसा...' सुप्रीम कोर्ट जज के फेयरवेल पर सीजेआई रमना ने क्‍यों कही यह बात?

नई दिल्लीभारत के प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना ने मंगलवार को कहा कि पीठ में होने के दौरान कोई न्यायाधीश अपने खिलाफ ‘प्रेरित हमलों’ से खुद का बचाव नहीं कर सकते हैं। वहीं, एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जरूरत पड़ने पर ऐसा कर सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट में तीन साल से अधिक समय तक सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी के विदाई कार्यक्रम में यह कहा। इससे पहले दोपहर में रस्मी सुनवाई के लिए बैठे सीजेआई ने उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की तथा सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति करुणा एवं चेतना प्रदर्शित की। वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से न्यायमूर्ति रेड्डी के लिए डिजिटल माध्यम से आयोजित विदाई कार्यक्रम में न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि सेवानिवृत्ति ठीक ‘स्वतंत्रता वापस पाने’ की तरह है, खासतौर पर एक न्यायाधीश के लिए, क्योंकि वह तब सभी पाबंदियों से मुक्त होते हैं जो पद पर रहने के दौरान होती है और वह सभी मुद्दों पर अपने विचार स्वतंत्र रूप से तथा बेबाक प्रकट कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘पीठ में रहने के दौरान, कोई न्यायाधीश प्रेरित हमलों के खिलाफ अपना बचाव नहीं कर सकता। जबकि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जरूरत पड़ने पर खुद का बचाव करने के लिए स्वतंत्र होता है। मैं आश्वत हूं कि रेड्डी भाई नई स्वतंत्रता का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करेंगे।’ न्यायमूर्ति रेड्डी दो नवंबर 2018 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए थे। वह तेलंगाना से उच्चतम न्यायालय में नियुक्त होने वाले प्रथम न्यायाधीश थे। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या घटकर 32 रह जाएगी, जबकि कुल मंजूर पदों की संख्या 34 है। न्यायमूर्ति रेड्डी, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हीमा कोहली के साथ दोपहर में रस्मी सुनवाई के लिए बैठे सीजेआई उनकी (न्यायमूर्ति रेड्डी की) सराहना करते हुए भाव विभोर हो गए। सीजेआई ने कहा, ‘30 साल साथ रहने के दौरान मुझे उनका मजबूत सहयोग और मित्र भाव मिला। मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ शुभकामनाएं देता हूं। न्यायमूर्ति रेड्डी तेलंगाना राज्य का गठन होने के बाद वहां से उच्चतम न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश हैं।’ न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि न्यायमूर्ति रेड्डी भी उनकी तरह ही कृषक परिवार से हैं और एक कानूनी पेशेवर के रूप में उन्होंने अपने सफर में कई उपलब्धियां हासिल कीं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘विभिन्न उच्च न्यायालयों में 20 साल तक न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सदा ही लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कानून के कई संवेदनशील प्रश्नों का समाधान किया और 100 से अधिक फैसले लिखे। मैंने भी उनके साथ पीठ साझा की और उनके विचारों से लाभान्वित हुआ।’ उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रेड्डी सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति अपनी करुणा और चेतना को लेकर जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि निवर्तमान न्यायाधीश शीर्ष न्यायालय के प्रशासनिक कार्य के प्रति अपने समर्पण को लेकर याद रखे जाएंगे। सीजेआई ने कहा, ‘उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक कानून में है।’ इस अवसर पर अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल, सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष विकास सिंह सहित अन्य ने भी न्यायमूर्ति रेड्डी के योगदान का उल्लेख किया।

राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के खिलाफ क्‍या हो सकती है अपील? सुप्रीम कोर्ट ने दिया जवाब

नई दिल्लीसुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग या उसके प्रतिनिधि के किसी आदेश के खिलाफ अपील का कोई उपाय नहीं है। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने महाराष्ट्र हाई कोर्ट के एक आदेश को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं। हाई कोर्ट ने राज्य के धिले जिले में एक सरपंच और एक ग्राम पंचायत सदस्य को अयोग्य करार देने के संभागीय आयुक्त के आदेश की पुष्टि की थी। संभागीय आयुक्त ने उन्हें तय समय में चुनाव खर्च की जानकारी जमा नहीं करने पर अयोग्य करार दिया था। सरपंच और पंचायत सदस्य एक ही गांव के हैं। पीठ ने कहा, ‘राज्य निर्वाचन आयोग या इसके प्रतिनिधि-जिलाधिकारी की ओर से धारा 14बी (1) के तहत किसी सरपंच/सदस्य को अयोग्य घोषित करने के मामले में शिकायत को खारिज करने या कार्यवाही को वापस लेने के आदेश के खिलाफ अपील का कोई उपाय नहीं है।’ उसने कहा, ‘आदेश अंतिम हो जाता है और प्रतिनिधि के रूप में जिलाधिकारी की ओर से दिया जाता है तो इसे राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा ही पारित माना जाता है।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग भी इस मामले में दखल नहीं दे सकता। उसने कहा कि संभागीय आयुक्त को जिलाधिकारी के इस तरह के किसी आदेश को खारिज करने पर विचार करने का कोई अधिकार नहीं होगा।

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र का राज्यों को आदेश, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त करें, अस्थायी अस्पताल बनाने पर दिया जोर

नयी दिल्लीकेंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से क्षेत्र एवं अस्थायी सुविधाओं की पुन:स्थापना सहित स्वास्थ्य ढांचे की तैयारियों की समीक्षा करने को कहा, ताकि कोविड के मामले तेजी से बढ़ने पर अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने के दौरान वहां किसी तरह का अभाव नहीं रहे। कोविड-19 के मामलों में संभावित वृद्धि से निपटने के लिए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से दुरस्त रहे। भूषण के पत्र का जिक्र करते हुए मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव आरती आहूजा ने सभी राज्यों को पत्र लिख कर कहा है कि यह उम्मीद की जाती है कि क्षेत्र एवं अस्थायी अस्पतालों की पुन:स्थापना एवं पुन: आरंभ करने की कवायद शुरू हो गई होगी। अधिकारी ने सभी राज्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और स्वास्थ्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए बिस्तर रिजर्व करना भी शुरू कर दिया होगा। उन्होंने कहा, ‘आप अपने स्तर पर नियमित रूप से स्थिति की समीक्षा कर सकते हैं ताकि अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने की संख्या बढ़ने की स्थिति में राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश की ओर से कोई कमी नहीं रहे।’ उन्होंने कहा कि राज्यों से होटलों में भी कोविड देखभाल केंद्र बनाने की उम्मीद की जाती है।