Friday, December 25, 2020

केरल की आर्या बनीं बेमिसाल...इन लोगों ने भी कम उम्र में मेयर बन छुआ था नया मुकाम

केरल में हाल में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों के बाद 21 साल की आर्या राजेंद्रन (Arya Rajendran) अचानक से सुर्खियों में आ गई हैं। सभासद बनने के साथ ही वह तिरुवनंतपुरम की सबसे युवा मेयर (Thiruvananthpuram Mayor) बनने जा रही हैं। वह केरल ही नहीं बल्कि देश की सबसे युवा मेयरों में से एक होंगी। लेकिन इससे पहले और भी युवा चेहरे मेयर बन चुके हैं, आइए देखते हैं तस्वीरों में-

केरल में हाल में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों के बाद 21 साल की आर्या राजेंद्रन (Arya Rajendran) अचानक से सुर्खियों में आ गई हैं। सभासद बनने के साथ ही वह तिरुवनंतपुरम की सबसे युवा मेयर (Thiruvananthpuram Mayor) बनने जा रही हैं। वह केरल ही नहीं बल्कि देश की सबसे युवा मेयरों में से एक होंगी। लेकिन इससे पहले और भी युवा चेहरे मेयर बन चुके हैं, आइए देखते हैं तस्वीरों में...


केरल की आर्या ही नहीं, यूपी से लेकर मुंबई तक में रह चुके हैं सबसे युवा मेयर, देखिए तस्वीरें

केरल में हाल में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों के बाद 21 साल की आर्या राजेंद्रन (Arya Rajendran) अचानक से सुर्खियों में आ गई हैं। सभासद बनने के साथ ही वह तिरुवनंतपुरम की सबसे युवा मेयर (Thiruvananthpuram Mayor) बनने जा रही हैं। वह केरल ही नहीं बल्कि देश की सबसे युवा मेयरों में से एक होंगी। लेकिन

इससे पहले और भी युवा चेहरे मेयर बन चुके हैं, आइए देखते हैं तस्वीरों में-



​21 साल में भरतपुर की मेयर बनीं सुमन
​21 साल में भरतपुर की मेयर बनीं सुमन

सुमन कोली 2009 में राजस्थान के भरतपुर की मेयर बनीं थीं। तब उनकी उम्र महज 21 साल की थी। भारी मतों के अंतर से सभापति बनीं सुमन का कार्यकाल 2009 से लेकर 2014 तक का रहा।



​उत्तर प्रदेश की सबसे युवा मेयर नूतन
​उत्तर प्रदेश की सबसे युवा मेयर नूतन

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद नगर निगम की मेयर बनीं नूतन राठौर। 2017 में मेयर बनने के वक्त नूतन की उम्र 31 साल की थी और वह फिरोजाबाद ही नहीं, बल्कि यूपी की सबसे युवा मेयर बनी थीं। एमबीए की पढ़ाई कर चुकीं नूतन बीजेपी से जुड़ी हुई हैं।



​23 की उम्र में नवी मुंबई के मेयर बने थे संजीव
​23 की उम्र में नवी मुंबई के मेयर बने थे संजीव

संजीव नायक, महाराष्ट्र के नवी मुंबई के मेयर बने थे। साल 1995 में 23 साल की उम्र में संजीव ने यह मुकाम हासिल किया था। वह तीन बार मेयर बने और 2009 में एनसीपी के टिकट पर सांसद भी चुने गए थे। (तस्वीर में बाएं से दूसरे)



शरद पवार की खुलकर तारीफ, इशारों में कांग्रेस को कोसा...शिवसेना के क्यों बदले तेवर?

मुंबईकृषि कानूनों के विरोध में किसान अभी आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। इस बीच पर सियासी तकरार जारी है और अब ने एनसीपी चीफ की खुलकर तारीफ करते हुए इशारों-इशारों में कांग्रेस पर निशाना साधा है। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा गया है कि किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली के सत्ताधीश बेफिक्र हैं। सरकार की इस बेफिक्री का कारण देश का बिखरा हुआ और कमजोर विरोधी दल है। 'सामना' में बिना नाम लिए अन्य दलों पर भी अटैक किया गया है। संपादकीय में लिखा है, लोकतंत्र का जो अधोपतन शुरू है, उसके लिए बीजेपी या नरेंद्र मोदी-अमित शाह की सरकार जिम्मेदार नहीं है, बल्कि विरोधी दल सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। वर्तमान स्थिति में सरकार को दोष देने की बजाय विरोधियों को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है। 'यह विरोधी दल की ही दुर्दशा' विरोधी दल के लिए एक सर्वमान्य नेतृत्व की आवश्यकता होती है। इस मामले में देश का विरोधी दल पूरी तरह से दिवालिएपन के हाशिए पर खड़ा है। गुरुवार को कांग्रेस ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में किसानों के समर्थन में एक मोर्चा निकाला। राहुल गांधी और कांग्रेस के नेता दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर वाला निवेदन पत्र लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे, वहीं विजय चौक में प्रियंका गांधी आदि नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। पिछले 5 वर्षों में कई आंदोलन हुए। सरकार ने उनको लेकर कोई गंभीरता दिखाई हो, ऐसा नहीं हुआ। यह विरोधी दल की ही दुर्दशा है। सरकार के मन में विरोधी दल का अस्तित्व ही नहीं है। किसानों और कामगारों से चर्चा न करते हुए उन पर लादे गए कानून मोदी सरकार को हटाने ही होंगे, ऐसा राहुल गांधी ने राष्ट्रपति से मिलकर कहा। भाजपा की ओर से इस बात की खिल्ली उड़ाई गई। ‘यूपीए’ की हालत ‘एनजीओ’ की तरह 'सामना' में लिखा गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व में एक ‘यूपीए’ नामक राजनीतिक संगठन है। उस ‘यूपीए’ की हालत एकाध ‘एनजीओ’ की तरह होती दिख रही है। ‘यूपीए’ के सहयोगी दलों की ओर से भी किसानों के असंतोष को गंभीरता से लिया हुआ नहीं दिखता। ‘यूपीए’ में कुछ दल होने चाहिए लेकिन वे कौन और क्या करते हैं? इसको लेकर भ्रम की स्थिति है। शरद पवार के नेतृत्ववाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को छोड़ दें तो ‘यूपीए’ की अन्य सहयोगी पार्टियों की कुछ हलचल नहीं दिखती। शरद पवार का एक स्वतंत्र व्यक्तित्व है, राष्ट्रीय स्तर पर है ही और उनके वजनदार व्यक्तित्व तथा अनुभव का लाभ प्रधानमंत्री मोदी से लेकर दूसरी पार्टियां भी लेती रहती हैं। 'अकेले लड़ रही हैं ममता बनर्जी' पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अकेले लड़ रही हैं। भारतीय जनता पार्टी वहां जाकर कानून-व्यवस्था को बिगाड़ रही है। केंद्रीय सत्ता की जोर-जबरदस्ती पर ममता की पार्टी को तोड़ने का प्रयास करती है। ऐसे में देश के विरोधी दलों को एक होकर ममता के साथ खड़ा होने की आवश्यकता है। लेकिन इस दौरान ममता की केवल शरद पवार से ही सीधी चर्चा हुई दिखती है तथा पवार अब पश्चिम बंगाल जानेवाले हैं। यह काम कांग्रेस के नेतृत्व को करना आवश्यक है। कांग्रेस जैसी ऐतिहासिक पार्टी को गत एक साल से पूर्णकालिक अध्यक्ष भी नहीं है। सोनिया गांधी ‘यूपीए’ की अध्यक्ष हैं और कांग्रेस का कार्यकारी नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। लेकिन उनके आसपास के पुराने नेता अदृश्य हो गए हैं। मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल जैसे पुराने नेता अब नहीं रहे। ऐसे में कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा? ‘यूपीए’ का भविष्य क्या है, इसको लेकर भ्रम बना हुआ है। 'बिहार चुनाव में भी फिसल गई कांग्रेस' फिलहाल, ‘एनडीए’ में कोई नहीं है। उसी प्रकार ‘यूपीए’ में भी कोई नहीं है, लेकिन भाजपा पूरी ताकत के साथ सत्ता में है और उनके पास नरेंद्र मोदी जैसा दमदार नेतृत्व और अमित शाह जैसा राजनीतिक व्यवस्थापक है। ऐसा ‘यूपीए’ में कोई नहीं दिखता। लोकसभा में कांग्रेस के पास इतना संख्याबल नहीं है कि उन्हें विरोधी दल का नेता पद मिले। हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव हुए। उसमें भी कांग्रेस फिसल गई। इस सत्य को छुपाया नहीं जा सकता। तेजस्वी यादव नामक युवा ने जो मुकाबला किया वैसी जिद कांग्रेस नेतृत्व ने दिखाई होती तो शायद बिहार की तस्वीर कुछ और होती। राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से जोरदार संघर्ष करते रहते हैं। उनकी मेहनत बखान करने जैसी है लेकिन कहीं तो कुछ कमी जरूर है। ये दल यूपीए से दूर क्यों? तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, अकाली दल, मायावती की बसपा, अखिलेश यादव, आंध्र में जगन की वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना में चंद्रशेखर राव, ओडिशा में नवीन पटनायक और कर्नाटक के कुमारस्वामी जैसे कई दल और नेता भाजपा के विरोध में हैं। लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में ‘यूपीए’ में वे शामिल नहीं हुए हैं। जब तक ये भाजपा विरोधी ‘यूपीए’ में शामिल नहीं होंगे, विरोधी दल का बाण सरकार को भेद नहीं पाएगा।

MP: लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित कानून को कैबिनेट की मंजूरी, धर्म परिवर्तन में 10 साल तक जेल

भोपाल मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित बिल के ड्राफ्ट को लेकर प्रदेश कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। शनिवार सुबह सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में , 2020 के ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद ने इसकी जानकारी दी। गृह मंत्री ने बताया कि कानून में बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के मामलों में 1-5 साल तक के कारावास और कम से कम 25 हूजार रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। महिला, नाबालिग और एससी-एसटी के धर्म परिवर्तन के मामलों में दोषियों को 2 से 10 साल तक की जेल के अलावा 50 हजार रुपए का जुर्माने दोषियों को देना होगा। कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन जरूरी कानून के तहत अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन के लिए संबंधित जिले के कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन देना होगा। धर्मांतरण कर शादी करने के लिए कलेक्टर के पास आवेदन देना अनिवार्य होगा। बिना आवेदन के अगर धर्मांतरण किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Bihar News: अरुणाचल में टूटी जेडीयू तो तेजप्रताप बोले- बिहार में भी बहुत जल्द होने वाला है पार्टी का सफाया


प्रणय राज, नालंदा
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में जेडीयू के 6 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने को लेकर बिहार में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। आरजेडी (RJD) ने जेडीयू में हुई इस टूट को लेकर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर निशाना साधा है। वहीं आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव Tej Pratap Yadav) ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बिहार में शुरू से ही इनका सफाया हो रहा है। यही कारण है कि इस बार विधानसभा में इनकी पार्टी आधी सीटों पर सिमट के रह गई।

नालंदा में तेजप्रताप यादव ने साधा नीतीश कुमार पर निशाना
पिता लालू प्रसाद यादव से मिलने रांची जा रहे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव नालंदा पहुंचे। आरजेडी कार्यकर्ताओं ने बिहार शरीफ के अंबेडकर चौक पर इनका जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर आरजेडी नेता ने अरुणाचल प्रदेश में हुए राजनीतिक उठापटक को लेकर कहा कि बिहार में भी बहुत जल्द जदयू का सफाया होने वाला है। कहा जा सकता है कि इनकी पतन की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश से हो चुकी है।

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'नीतीश कुमार ने जो फैसला लिया बहुत गलत लिया'
तेज प्रताप यादव ने आगे कहा कि जनता दल यूनाइटेड पूरी तरह से खंडित होकर टूट चुका है। नीतीश कुमार ने जो फैसला लिया है बहुत गलत फैसला लिया है। उन्होंने खुद अपनी पीठ में छुरा मारने का काम किया है।


via WORLD NEWS

Balaghat: स्कूटी सवार को बचाने में पलट गया ट्रक, 4 मजदूरों की दर्दनाक मौत


बालाघाट
शुक्रवार शाम एमपी के बालाघाट में एक दर्दनाक हादसे में 4 मजदूरों की मौत हो गई। दुर्घटना में कम से कम 7 मजदूर घायल भी हो गए। दुर्घटना शुक्रवार शाम करीब 5 बजे बालाघाट- बैहर मार्ग पर भरवेली थाना क्षेत्र अंतर्गत गांगुलपारा घाटी के पास हुई। स्कूटी सवार को बचाने के प्रयास में ट्रक के ड्राइवर ने नियंत्रण खोया जिससे ट्रक पलट गया। जानकारी के अनुसार ट्रक में करीब 13 लोग सवार थे। घायलों में कुछ की हालत गंभीर है और मृतकों की संख्या में इजाफा होने की आशंका है।

राजगढ़ः अपनी ही पार्टी पर दिग्विजय का तंज, कहा- मध्य प्रदेश के कांग्रेसी सो रहे हैं

ट्रक बैहर से बालाघाट की ओर जा रहा था जब वह दुर्घटना का शिकार हुआ। घटना की जानकारी मिलने पर प्रशासनिक अमला भी घटनास्थल पर पहुंचा। इससे पहले राहगीरों ने राहत कार्य शुरू कर दिया। एंबुलेंस की मदद से घायल व मृतकों के शव को अस्पताल पहुंचाया गया।


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मुजफ्फरपुर में अपराधियों का तांडव: घर लौट रहे व्यापारी की गोली मारकर हत्या, लूट लिए 7 लाख रुपये


मुजफ्फरपुर
बिहार में आपराधिक वारदातें थमने की नाम नहीं ले रही हैं। मुजफ्फरपुर (Muzaffrpur News) में दुकान बंद कर घर लौट रहे खाद बीज व्यवसायी की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। दो बाइक पर आए चार अपराधियों ने व्यवसायी को गोली मारने के बाद उनसे सात लाख रुपये लूट कर फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस (Bihar Police) को ग्रामीणों का गुस्सा झेलना पड़ा।

घर से महज 500 मीटर दूर व्यापारी का मर्डर
मृतक व्यापारी का नाम प्रभाकर झा है। बताया जा रहा कि मनियारी के बाघी स्टेट स्थित दुकान को बंद कर प्रभाकर झा अकेले बाइक से अपने गांव कुढ़नी थाने के परैया लौट रहे थे। उन्हें किसी दूसरे व्यापारी से बकाया रुपया मिला था। यही लेकर वो लौट रहे थे। तभी बदमाशों ने उन्हें घर से करीब 500 मीटर पहले ओवरटेकर रोक लिया और फिर गोली मारकर रुपये लूट लिए।

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पुलिस मामले की जांच जुटी, मौके से मिले 3 खोखे
घटना के तुरंत बाद परिजन और ग्रामीण निजी सवारी से प्रभाकर झा को बैरिया स्थित एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने तुरंत ही उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजन शव को लेकर गांव लौट गए, हालांकि, वारदात को लेकर उनमें गुस्सा था। उन्होंने घटनास्थल पर ही शव को रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस टीम को भी विरोध झेलना पड़ा। फिलहाल जांच में घटनास्थल से पुलिस ने तीन खोखे बरामद किए हैं।


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राजगढ़ः अपनी ही पार्टी पर दिग्विजय का तंज, कहा- मध्य प्रदेश के कांग्रेसी सो रहे हैं


राजगढ़मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को किसान आंदोलन के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार तो निशाने पर तो लिया ही, अपनी पार्टी कांग्रेस को भी नहीं बख्शा। दिग्विजय ने राजगढ़ में कहा कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। एमपी के किसान भोले-भाले हैं और प्रदेश में कांग्रेसी भी सो रहे हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के लोगों से अपील की कि वे किसान विरोधी कानून के खिलाफ आवाज उठाएं।

उज्जैन में 2 समुदायों के बीच विवाद: सड़कों पर बिखरी पड़ी थीं गाड़ियां, फिर छाई वीरानगी...तस्वीरों में देखिए शहर का हाल

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानून बिल एवं जिले के किसानों को मुआवजा नहीं मिलने के विरोध में राजगढ़ जिले के तलेन में शुक्रवार को युवक कांग्रेस द्वारा दांडी यात्रा निकाली गई। तलेन से भोपाल तक 100 किलोमीटर की इस दांडी यात्रा को तलेन में राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसी मौके पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसानों के साथ अन्याय कर रहे हैं। इस यात्रा में कांग्रेस के पदाधिकारी एवं किसान शामिल हुए। यात्रा का समापन 28 दिसंबर को भोपाल में विधानसभा भवन या पीसीसी में किया जाएगा।


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Alvin Kamara Runs for Six Touchdowns Against Vikings


Sports New York TimesBy BY THE ASSOCIATED PRESS Via NYT To WORLD NEWS

Ruling on Woman on Death Row Puts Her Execution in Doubt


U.S. New York TimesBy BY BRYAN PIETSCH Via NYT To WORLD NEWS

The Warriors’ Championship Glow Is Gone. And Yet …


Sports New York TimesBy BY SCOTT CACCIOLA Via NYT To WORLD NEWS

Corrections: Dec. 26, 2020


Corrections New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

अमित शाह का किसानों को वादा, कहा- जब तक मोदी PM, कोई कंपनी नहीं छीन सकती आपकी जमीन

नई दिल्ली केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि जब तक नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं तब तक कोई कंपनी किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकती। उन्होंने यह भी कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी और मंडियां बंद नहीं होंगी। राष्ट्रीय राजधानी के किशनगढ़ गांव में लोगों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि अगर किसान संगठन यह सोचते हैं कि नए कृषि कानूनों का कोई भी प्रावधान उनके हितों के खिलाफ है तो केंद्र सरकार इसपर चर्चा करने और खुले मन से विचार करने को तैयार है। अमित शाह ने कहा कि विपक्ष कृषि कानूनों पर बेवजह होहल्ला मचा रहा है। उन्होंने किसानों को भरोसा दिया कि तीन कृषि सुधार कानून उनके हित में हैं और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। उन्होंने कहा, ‘‘ना तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त होगी और ना ही आपकी जमीन कोई छीन सकता है। मैं किसानों को बताना चाहता हूं कि जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, कोई भी कार्पोरेट आपकी जमीन नहीं छीन सकता, यह आपको भाजपा का वादा है।’’ 'एमएसपी जारी रहेगी और मंडियां कभी बंद नहीं होंगी' शाह ने कांग्रेस सहित विपक्ष पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि कानूनों के अन्य प्रावधानों के बारे में भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष सरासर झूठ बोल रहा है। मैं फिर दोहराता हूं कि एमएसपी जारी रहेगी और मंडियां कभी बंद नहीं होंगी। किसानों का कल्याण मोदी सरकार की प्राथमिकता है।’’ उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास कोई मुद्दा नहीं है और वे अपने हितों की पूर्ति के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरे देश में किसानों को बताना चाहता हूं कि विपक्षी नेताओं के पास कोई मुद्दा नहीं है और वे झूठ फैला रहे हैं कि एमएसपी खत्म हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया है और अब मैं फिर से स्पष्ट करता हूं कि एमएसपी है और आगे भी रहेगा।’’ 'राहुल बाबा कर्ज माफी लाए हमने शुरू की किसान सम्मान निधि' शाह ने कहा कि संप्रग नेताओं को एमएसपी के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि फसलों की लागत पर डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य की किसानों की मांग को पूरा करने के लिए उनके द्वारा कुछ भी नहीं किया गया था और यह मोदी सरकार द्वारा लागू किया गया। शाह ने यह दिखाने के लिए कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को रेखांकित किया कि किस तरह से उसने किसानों के कल्याण को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि ‘‘राहुल बाबा’’ सहित विपक्षी नेताओं ने किसानों के लिए कर्ज माफी की मांग की जब मोदी सरकार ने किसान सम्मान योजना शुरू की। उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग सरकार के दस वर्षों में 60,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफ किए गए थे, जबकि मोदी सरकार ने ढाई साल में दस करोड़ किसानों के खातों में 95,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए और अब 18,000 करोड़ रुपये बिना किसी बिचौलिए के हस्तांतरित किये जा रहे हैं।’’ NCP चीफ शरद पवार से पूछे कई सवाल शाह ने कहा, ‘‘मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं जो किसानों के हित के बारे में बात करते हैं कि जब वे सत्ता में थे तब उन्होंने क्या किया था? 2009 से 2014 के बीच 3.74 लाख करोड़ रुपये के गेहूं और धान की खरीद हुई थी, जबकि मोदी सरकार ने 2014-19 में इसे बढ़ाकर 8.22 लाख करोड़ रुपये किया।’’ उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राकांपा प्रमुख शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि किसानों की बात कौन कर रहा है? 2013-14 में किसानों के लिए क्या बजट था जब संप्रग और कांग्रेस सत्ता में थी। यह 21,900 करोड़ रुपये था। मोदी सरकार ने पिछले बजट में इसे बढ़ाकर 1.34 लाख करोड़ रुपये कर दिया।’’ 'कौन कहता है कि मंडियां बंद हो जाएंगी?' शाह ने कहा कि मोदी द्वारा लाए गए कृषि सुधार के बारे में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासन के दौरान 2001 में शंकरलाल गुरु समिति और मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने उल्लेख किया था। गृह मंत्री ने विपक्ष पर मंडियों के बारे में भी झूठ फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘मंडियां भी जारी रहेंगी। वे झूठ फैला रहे हैं कि मंडियां बंद हो जाएंगी। मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि कौन सा प्रावधान उन्हें बताता है कि मंडियां बंद हो जाएंगी? यदि वे इस पर चर्चा चाहते हैं, तो मैं रमेश बिधूड़ी (दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद) को उन्हें यह बताने के लिए भेज सकता हूं कि मंडियां बंद नहीं की जाएंगी।’’ ...और जब शाह ने लियेा बिधूड़ी का नाम जब शाह ने बिधूड़ी का नाम लिया तो बिधूड़ी भी वहां मौजूद थे और इस पर वहां मौजूद लोगों तालियां बजायीं। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता अब ‘‘झूठ फैला रहे हैं’’ क्योंकि देश की जनता ने उन्हें छोड़ दिया है और मोदी को अपने दिल में जगह दी है। गृह मंत्री शाह ने किसान सम्मान निधि कार्यक्रम में शिरकत की और किशनगढ़ गांव स्थित गोशाला में कई राज्यों के किसानों के साथ प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई बातचीत को भी सुना। कार्यक्रम में शाह के साथ भाजपा के कई नेता शामिल हुए।

नए साल में सुलझेगा किसानों का मुद्दा? कुछ किसान संगठनों ने फिर बातचीत के दिए संकेत

नई दिल्ली केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान यूनियनों ने बातचीत के लिए सरकार की नई पेशकश पर विचार के लिए शुक्रवार को बैठक की। संगठनों में से कुछ ने संकेत दिया कि वे मौजूदा गतिरोध का हल खोजने के लिए केंद्र के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला कर सकते हैं। यूनियनों ने कहा कि आज यानि शनिवार को उनकी एक और बैठक होगी जिसमें ठहरी हुई बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए केंद्र के न्योते पर कोई औपचारिक फैसला किया जाएगा। दो-तीन दिनों में हो सकती है बातचीत? केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी कहा कि सरकार को उम्मीद है कि अगले दौर की बैठक दो-तीन दिनों में हो सकती है। प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं में से एक ने नाम उजागर नहीं करने की इच्छा के साथ कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की उनकी मांग बनी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र के पत्र पर फैसला करने के लिए हमारी एक और बैठक होगी। उस बैठक में हम सरकार के साथ बातचीत फिर शुरू करने का फैसला कर सकते हैं क्योंकि उसके पिछले पत्रों से प्रतीत होता है कि वह अब तक हमारे मुद्दों को नहीं समझ पाई है।’’ किसानों का एमएसपी पर जोर उन्होंने कहा कि सरकार के पत्रों में कोई प्रस्ताव नहीं है और यही वजह है कि किसान संगठन नए सिरे से बातचीत करने और उन्हें अपनी मांगों को समझाने का फैसला कर सकते हैं। एक अन्य नेता ने कहा, ‘‘एमएसपी को इन तीन कानूनों को वापस लेने की हमारी मांग से अलग नहीं किया जा सकता है। इन कानूनों में निजी मंडियों का जिक्र किया गया है। यह कौन सुनिश्चित करेगा कि हमारी फसल तय एमएसपी पर बेची जाए अगर यह नहीं है?" किसानों को दिल्ली लाने के लिए ट्रेनें चलाने की मांग कई किसान यूनियनों की शुक्रवार को बैठक हुई लेकिन केंद्र के ताजा पत्र को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने विरोध कर रहे किसान यूनियनों को बृहस्पतिवार को एक पत्र लिखा और उन्हें नए सिरे से बातचीत के लिए आमंत्रित किया। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने शुक्रवार को केंद्र से मांग की कि वह ट्रेनों की व्यवस्था करे जिससे देश के विभिन्न हिस्सों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों तक पहुंच सकें। समिति ने कहा कि वे सभी किसानों के टिकटों के खर्च का भुगतान करने के लिए तैयार हैं।

अलविदा 2020: क्या वाकई में 2020 सबसे बुरा साल था तो इन्हें आप क्या कहेंगे….

2020 ने इंसान के जीने की राह में भी बेशुमार मुश्किलें खड़ी कीं। अर्थव्यवस्थाएं फेल हो गईं, नौकरी रोजगार छिन गए। साल भर भारत में बाढ़, तूफान, भूकंप के झटके डराते रहे। पड़ोसी मुल्क से सीमा पर खूनी झड़प हुई। इन सभी मुश्किल हालात से गुजरने पर अगर आप सोच रहे हैं कि 2020 दुनिया के इतिहास का सबसे बुरा साल है तो आपको इंसान पर आई पुरानी आफत पर भी गौर करना चाहिए।

साल 2020 मौजूदा पीढ़ी के लिए कभी न भूली जा सकने वाली यादें छोड़े जा रहा है। दुनिया ने 10 लाख लोगों को वायरस के कारण अपनी जान से हाथ धोते देखा।


अलविदा 2020: क्या वाकई में 2020 सबसे बुरा साल था तो इन्हें आप क्या कहेंगे….

2020 ने इंसान के जीने की राह में भी बेशुमार मुश्किलें खड़ी कीं। अर्थव्यवस्थाएं फेल हो गईं, नौकरी रोजगार छिन गए। साल भर भारत में बाढ़, तूफान, भूकंप के झटके डराते रहे। पड़ोसी मुल्क से सीमा पर खूनी झड़प हुई। इन सभी मुश्किल हालात से गुजरने पर अगर आप सोच रहे हैं कि 2020 दुनिया के इतिहास का सबसे बुरा साल है तो आपको इंसान पर आई पुरानी आफत पर भी गौर करना चाहिए।



साल 536: जब लाखों लोग भूख से परेशान होकर मर गए
साल 536: जब लाखों लोग भूख से परेशान होकर मर गए

आज से करीब 15 सौ साल पहले की बात है। साल 536 में दो विशाल ज्वालामुखी फटने पर धूल का इतना गुबार पैदा हुआ कि आने वाले 18 महीने सूरज की रोशनी धरती की सतह पर भी नहीं पहुंच सकी। इससे उत्तरी ध्रुव के इलाके में तापमान गिर गया गर्मियों में बर्फबारी की नौबत आ गई सूरज की रोशनी ना मिलने से फसलें बर्बाद हो चुकी थीं। यूरोप और आसपास के इलाकों में अकाल पड़ गया था लाखों लोग भूख से मर गए थे।



साल 1347: ब्यूबोनिक प्लेग से करोड़ों लोग मर गए
साल 1347: ब्यूबोनिक प्लेग से करोड़ों लोग मर गए

मंगोलिया में 1345 में बैक्टीरिया का एक घातक रूप प्लेग के रूप में सामने आया। जनवरी 1348 में इस बीमारी का एक और घातक रूप में उभरा जिसने लोगों को तेजी से चपेट में लेना शुरू कर दिया। इसमें संक्रमित इंसान के शरीर में चकत्ते बन जाते थे उल्टी, बुखार और कंपकंपी आती थी इससे बड़ी तादाद में मौतें हुईं। जब तक इस बीमारी का कहर थमा तब तक यूरोप की आधी आबादी (ढाई से 5 करोड़ लोग) इसकी चपेट में आकर खत्म हो चुकी थी इसनेअफ्रीका एशिया और यूरोप में तबाही मचाई इसी बीमारी ने 17 और 19वीं सदी में भी सिर उठाया तो भीषण हालात बने भारत में 1855 से 1900 के बीच प्लेग से 1.2 करोड़ लोग मरे।



साल 1520: स्मॉल पॉक्स से 40 % की आबादी हो गई साफ
साल 1520: स्मॉल पॉक्स से 40 % की आबादी हो गई साफ

साल 1520 में स्पैनिश हमलावर हर्नियन अपने साथ 500 सैनिकों को लेकर सेंट्रल मेक्सिको के एजटेक साम्राज्य पहुंचा जहां की आबादी ही 1.6 करोड़ थी इतनी बड़ी आबादी पर उसने 1521 में हुकूमत भी कायम कर ली। बताया जाता है कि वह अपने साथ स्माल पॉक्स की महामारी लाया और इसने उस देश की 40 फ़ीसदी आबादी का सफाया कर दिया ग्रज डॉट कॉम के मुताबिक इतनी तादाद में मौतें हो रही थीं कि लोगों को उनकी ही घरों के नीचे दफनाकर उनके घरों को कब्र में तब्दील किया जा रहा था।



साल 1770: 1769 से 1773 के बीच अकाल से एक करोड़ मौतें
साल 1770: 1769 से 1773 के बीच अकाल से एक करोड़ मौतें

इस साल बंगाल के इलाके में जिसमें आज का बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल और बिहार व ओडिशा का कुछ हिस्सा शामिल था भारी अकाल पड़ा जिसे 1769 से 1773 के बीच करीब एक करोड़ लोगों की भुखमरी से मौत हो गई। इसमें एक तरह से बंगाल क्षेत्र की एक तिहाई आबादी का सफाया कर दिया था। इस दौर की बुरी यादें दर्द और पीड़ा बंगाल के साहित्य में भी बयां की गई है।



साल 1783: ज्वालामुखी फटने से मचा हाहाकार
साल 1783: ज्वालामुखी फटने से मचा हाहाकार

जून 1783 में आइसलैंड का लाकी ज्वालामुखी सक्रिय हुआ और यह 8 महीने आग उगलता रहा। इससे दुनिया में बेतहाशा गर्मी और फिर सर्दी पड़ी। ज्वालामुखी के कारण 1783 के उस पूरे साल उत्तरी ध्रुव के देशों के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हुए। इससे लोगों में सांस से जुड़ी दिक्कतें बढ़ गईं। एसिड की बारिश हुई। 1 साल के भीतर ही आइसलैंड के आधे पशु मर चुके थे और इस देश की 20 फ़ीसदी आबादी का नाश हो गया। बताया जाता है कि इस साल जो सर्दी पड़ी उसे इतनी तबाही और भुखमरी हुई कि उसका अंजाम 1790 की फ्रांसीसी क्रांति के रूप में हुआ।



साल 1918: स्पैनिश फ्लू ने ली थी दुनिया भर में 5 करोड़ लोगों की जान
साल 1918: स्पैनिश फ्लू ने ली थी दुनिया भर में 5 करोड़ लोगों की जान

इस साल एच1 एन1 इन्फ्लुएंजा फ्लू महामारी बन गया और दुनिया में हर तीसरा शख्स इससे बीमार पड़ गया अनुमान के मुताबिक 50 करोड़ लोग इससे संक्रमित हुए और 5 करोड़ लोगों की मौत भी हुई। भारत के उत्तरी भाग में इससे 1.2 से 1.3 करोड़ मौतें हुईं। यह कुल आबादी का 4 से 6 पर्सेंट था।



साल 1943: दूसरा विश्व युद्ध और भारत में भुखमरी
साल 1943: दूसरा विश्व युद्ध और भारत में भुखमरी

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान साल 1943 सबसे बुरा रहा। कंसन्ट्रेशन कैंप जनसंहार के केंद्र बन गए। बमबारी की दौड़ शुरू हो गई और दुनिया भर में लड़ाई छिड़ गई। ग्रज डॉट कॉम के मुताबिक ब्रिटिश भारत में उस समय बड़ी तादाद में रसद और खाने पीने का सामान युद्ध के मोर्चे पर और ब्रिटेन तक लाया गया जिससे भारत में भुखमरी और अकाल पड़ गया। इससे भारतीय उपमहाद्वीप में 30 लाख मौतें हो गईं।



साल 1947: करोड़ों बेघर, दंगों में लाखों मौतें
साल 1947: करोड़ों बेघर, दंगों में लाखों मौतें

भारत-पाक विभाजन के वक्त पंजाब का इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित रहा। यहां करीब 4 से 5 लाख लोगों की मौत होने का अनुमान है। डेढ़ करोड़ लोगों के बेघर होने और दंगों में 10 से 20 लाख लोगों की मौतें होने का अनुमान है।



फर्जी टीआरपी मामला: BARC के पूर्व सीईओ अरेस्ट, पुलिस बोली- गिरोह के 'सरगना' थे दासगुप्ता

मुंबईमुंबई पुलिस ने शुक्रवार को दावा किया कि ब्रॉडकास्ट रिसर्च ऑडियंस काउंसिल () के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता ने रिपब्लिक टीवी सहित कुछ टीवी चैनलों की की हेराफेरी में मुख्य भूमिका निभाई थी। इससे पहले रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने दिन में एक बयान जारी कर कहा कि पुलिस के आरोप हास्यास्पद हैं और जांच का एकमात्र मकसद रिपब्लिक टीवी को निशाना बनाना है। रिपब्लिक टीवी का स्वामित्व रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के पास है। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने गुरुवार को 55 वर्षीय दासगुप्ता को पुणे जिले में तब गिरफ्तार किया, जब वह गोवा से जा रहे थे। उन्हें शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत में पेश किया गया और अदालत ने उन्हें 28 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। पढ़ें, 'फर्जीवाड़े में शामिल दासगुप्ता' पुलिस ने शुक्रवार को जारी एक बयान में उन्हें गिरोह का 'सरगना’ बताया। पुलिस ने कहा कि बार्क (BARC) के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी रोमिल रामगढ़िया से पूछताछ में पता चला कि वह दासगुप्ता की मिलीभगत से टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) फर्जीवाड़े में शामिल थे। रामगढ़िया को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। रिपब्लिक टीवी ने नकारे आरोपदासगुप्ता जून 2013 से नवंबर 2019 के बीच बार्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थे। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क पहले ही किसी गलत काम से इनकार कर चुका है और उसने दावा किया कि पूरे मामले में पुलिस के आरोप हास्यास्यपद हैं। मीडिया कंपनी ने दावा किया कि जांच फर्जी है और इसका एकमात्र मकसद रिपब्लिक टीवी को निशाना बनाना था। दासगुप्ता मामले में गिरफ्तार किए गए 15वें व्यक्ति हैं। पढ़ें, 2016-19 तक चल रहा था खेलमामले के ज्यादातर आरोपी अभी जमानत पर हैं। मुंबई पुलिस ने बार्क की इस शिकायत पर जांच शुरू की कि कुछ चैनल टीआरपी में हेराफेरी कर रहे हैं। बार्क की एक फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि दर्शकों के डेटा में हेरफेर कम से कम 2016 से 2019 के बीच चल रहा था और कुछ मामलों में रेटिंग पूर्व निर्धारित की गई थी। पहले दबा दी गई थीं शिकायतें पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि जब दासगुप्ता बार्क के सीईओ थे, तो दर्शकों से संबंधी संदिग्ध डेटा के बारे में कई शिकायतें आई थीं, लेकिन इन शिकायतों को दबा दिया गया था। टीआरपी से दर्शकों की संख्या का पता लगाया जाता है। यह काफी अहम है क्योंकि इससे टीवी चैनलों को विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने में मदद मिलती है।

उज्जैन में 2 समुदायों के बीच विवाद: सड़कों पर बिखरी पड़ी थीं गाड़ियां, फिर छाई वीरानगी

मध्य प्रदेश के उज्जैन में शुक्रवार शाम माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया जब बेगमगंज इलाके में दो समुदायों के बीच पथराव होने लगा। बाइक की टक्कर से शुरू हुए विवाद में जमकर पथराव हुआ और आधा दर्जन लोग घायल हो गए। हालांकि अब स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण है।

शुक्रवार शाम को हिन्दू संगठनों की रैली पर पथराव के बाद एमपी के उज्जैन में स्थिति तनावपूर्ण हो गई। हालांकि, प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई कर शांति-व्यवस्था को नियंत्रण में कर लिया। रैली में शामिल बाइक से एक व्यक्ति की टक्कर से विवाद शुरू हुआ जो विषाक्त रूप लेने लगा। एसपी सहित अन्य अधिकारियों ने मोर्चा संभाला। रात को कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि शहर में पूरी तरह शांति है और कहीं कोई समस्या नहीं है।


उज्जैन में 2 समुदायों के बीच विवाद: सड़कों पर बिखरी पड़ी थीं गाड़ियां, फिर छाई वीरानगी...तस्वीरों में देखिए शहर का हाल

मध्य प्रदेश के उज्जैन में शुक्रवार शाम माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया जब बेगमगंज इलाके में दो समुदायों के बीच पथराव होने लगा। बाइक की टक्कर से शुरू हुए विवाद में जमकर पथराव हुआ और आधा दर्जन लोग घायल हो गए। हालांकि अब स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण है।



प्रशासन हुआ मुस्तैद
प्रशासन हुआ मुस्तैद

पथराव के बाद हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ सांसद अनिल फिरोजिया ने महाकाल थाना का घेराव किया। अधिकारियों ने लेकिन हालात को नियंत्रण से बाहर नहीं जाने दिया। शीर्ष अधिकारी खुद मुस्तैद हो गए। पुलिस अब दोषियों की पहचान करने में जुटी है। इसके लिए घटना के वीडियो और आसपास के सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं। इसके जरिये पत्थर फेंकने वालों की पहचान की जा रही है। कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।



हिंदू संगठनों की निकल रही थी रैली
हिंदू संगठनों की निकल रही थी रैली

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए धन संग्रह कार्यक्रम को लेकर उज्जैन में हिंदूवादी संगठनों द्वारा शुक्रवार को निकाली गई रैली में शहर के बेगमबाग इलाके में अचानक पथराव हो गया। पथराव काफी देर तक चलता रहा। इससे शहर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। हालांकि, पुलिस ने तत्काल कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रण में कर लिया। एसपी और कलेक्टर ने खुद मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला।



टक्कर से शुरू हुआ विवाद
टक्कर से शुरू हुआ विवाद

शुक्रवार शाम करीब 6 बजे माधव सेवा न्यास में बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में राममंदिर निर्माण के लिए धनराशि इकट्‌ठा करने के मुद्दे पर चर्चा होनी थी। इसी बैठक में शामिल होने के लिए रैली के रूप में हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता बाइक से महाकाल थाना क्षेत्र में माधव सेवा न्यास आ रहे थे। इसी दौरान रैली में शामिल बाइक सवार की बेगमबाग इलाके में किसी व्यक्ति से टक्कर हो गई जिसे लेकर उनमें विवाद और झूमाझटकी हो गई।



बच्चों और महिलाओं ने भी फेंके पत्थर
बच्चों और महिलाओं ने भी फेंके पत्थर

मामूली विवाद के बाद जमकर पथराव हुआ। छतों से महिलाओं और बच्चों ने भी पत्थर फेंके जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। पथराव में आधा दर्जन लोग घायल हुए हैं। वाहनों में भी तोड़फोड़ हुई। एसपी और कलेक्टर सहित शहर के अधिकांश थानों का बल मौके पर पहुंचा, तब जाकर स्थिति नियंत्रण में आई। पुलिस ने कुछ युवकों को हिरासत में लिया है।



देर तक होता रहा पथराव
देर तक होता रहा पथराव

विवाद होता देख दूसरे पक्ष के लोग भी आ गए और अचानक पथराव शुरू कर दिया। रैली में शामिल लोगों और पुलिसकर्मियों को मारना शुरू कर दिया। रैली आगे बढ़ने के बाद भी लोगों ने छतों से पथराव किया। पत्थर फेंकने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इससे आसपास का माहौल अशांत होने लगा।



सड़कों पर बिखरी पड़ी थीं गाड़ियां
सड़कों पर बिखरी पड़ी थीं गाड़ियां

पथराव के बाद पूरे इलाके में अफरा तफरी मच गई। लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में यहां-वहां भागने लगे। थोड़ी देर बाद ही सड़कों पर गाड़ियां बिखरी पड़ी हुई दिखीं। ट्रैफिक भी अस्त-व्यस्त होने लगा, लेकिन प्रशासन तत्काल मुस्तैद हो गया।



थोड़ी देर बाद सब शांत
थोड़ी देर बाद सब शांत

स्थिति विस्फोटक हो, इससे पहले ही प्रशासन हरकत में आ गए। आसपास के थानों से भी पुलिसबल को बुलाकर बेगमगंज इलाके में तैनात कर दिया गया। कलेक्टर आशीष सिंह के साथ एसपी ने खुद कानून-व्यवस्था की कमान संभाल ली। उज्जैन एक बड़े हादसे का शिकारहोने से बच गया। थोड़ी देर बाद ही सड़क पर वीरानगी छाई हुई थी। इक्के-दुक्के लोग भी मुश्किल से नजर आ रहे थे।



कलेक्टर ने कहा, सब नियंत्रण में
कलेक्टर ने कहा, सब नियंत्रण में

उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि दो समुदायों के बीच विवाद हुआ था, लेकिन यह स्थानीय था और प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई कर स्थिति पर नियंत्रण कर लिया। उन्होंने बताया कि फिलहाल शहर में पूरी तरह शांति है। उन्होंने कहा कि पुलिस घटना के वीडियो फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर दो्षियों की पहचान करेगी। इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।



धारावी में 267 दिन बाद कोरोना का '0' केस, लंबे समय तक रहा था हॉटस्पॉट

बृजेश त्रिपाठी, मुंबईएशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में 267 दिन के बाद शुक्रवार को कोरोना का कोई नया केस नहीं मिला। यहां दिसंबर में लगातार सिंगल डिजिट में कोरोना के मरीज सामने आ रहे थे। कई दिन सिर्फ 1 मरीज मिला था। धारावी में 1 अप्रैल को पहला कोरोना केस सामने आया था। उसके बाद यह इलाका लंबे समय तक कोरोना का हॉटस्पॉट बना रहा। 3 मई को यहां एक दिन में सर्वाधिक 94 कोरोना के केस सामने आए थे। धारावी को कोरोना मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और बीएमसी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। देखें, जी/ नॉर्थ वॉर्ड के असिस्टेंट कमिश्नर किरण दिघावकर ने बताया कि धारावी में सिर्फ 12 ऐक्टिव केस रह गए हैं। इनमें से 8 होम क्वारंटीन हैं और 4 मरीजों का इलाज चल रहा है। WHO ने की थी तारीफकोरोना पर काबू पाने के धारावी मॉडल की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तारीफ की थी। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के मीडिया ने भी धारावी मॉडल की तारीफ की थी। फिलीपींस ने इस मॉडल का ब्लू प्रिंट मंगवाकर अपने यहां लागू किया था। ऐसे दी कोरोना को मात बीएमसी कमिश्नर आई.एस. चहल के नेतृत्व और अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी के मार्गदर्शन में असिस्टेंट कमिश्नर किरण दिघावकर ने 4 टी मंत्र अपनाया। इसके तहत ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर जोर दिया गया। आखिरकार उन्हें को मात देने में सफलता मिली।

BJP सांसद ने कांग्रेसी मंत्री के साथ मंच साझा कर दिया अनोखा बयान , कहा- हमारी चाल से कई लोगों के पेट में होगा दर्द


दौसा
जिस दौर में जहां प्रदेश के कांग्रेस और बीजेपी नेता एक दूसरे जमकर जुबानी हमले बोल रहे हैं। आरोप -प्रत्यारोप कर रहे हैं। वहीं इसी बीच दौसा में एक अनोखी तस्वीर दौसा में देखने को मिली। यहां दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता एक मंच पर बैठे और एक साथ विकास कार्य कराने का दम भरा। ऐसी राजनीतिक तस्वीर जनता को तो अच्छे संकेत जरूर देत रही है, लेकिन इस दौरान दौसा सांसद सियासी कटाक्ष करना नहीं भूली।

'कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर बैठे लोग आतंकवादियों, नक्सलवादियों या खालिस्तान वालों से प्रभावित हैं'


लालसोट में दोनों ने साझा किया एक मंच
दरअसल दौसा बीजेपी सांसद जसकौर मीणा और लालसोट से विधायक व प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा एक साथ एक मंच पर दिखे। मौका था प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के उद्घाटन कार्यक्रम का। आमतौर पर विकास कार्यों के उद्घाटन में दोनों नेता मंच साझा करते हुए दिखाई नहीं देते थे लेकिन लालसोट क्षेत्र में दोनों ने मंच साझा किया। इस दौरान बीजेपी सांसद जसकौर मीणा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें आज बहुत खुशी हो रही है कि उनका भाई साथ चल रहा है, ऐसे में दोनों का ही उद्देश्य सिर्फ एक है क्षेत्र का विकास। उन्होंने कहा कि हम दोनों की एक साथ वाली चाल से बहुत लोगों के पेट में दर्द हो जाएगा। सांसद ने कहा कि लेकिन यह दर्द इतना बड़े कि सामने वाला अस्पताल पहुंच जाए।
कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस के गुर्गों ने जेल अधीक्षक को दी धमकी, अब एसपी ने कही ये बात

सांसद को लेकर दिया बयान
जानकारों की मानें, तो सांसद जसकौर मीणा और उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा एक सांसद के घोर विरोधी माने जाते हैं। जसकौर मीणा का यह बयान भी उसी सांसद के लिए दिया गया था, लेकिन सांसद जसकौर मीणा ने इस सियासी कटाक्ष में सांसद का नाम भी नहीं लिया और बयान देकर राजनीतिक कटाक्ष भी कर दिया।

रिपोर्ट- रेखा शर्मा।


via WORLD NEWS

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Sports New York TimesBy BY GILLIAN R. BRASSIL Via NYT To WORLD NEWS